एक कहावत है “अगर मां नहीं है आपके पास तो कोई बात नहीं त्रिफला तो है”!

“यस्य नास्ति माता,तस्य माता हरीतकी”,तात्पर्य त्रिफला हमारी देखभाल हमारी मां की तरह ही करता है, आयुर्वेद में इसे महाऔषधि कहा गया है, आयुर्वेद दरअसल हमारे खान-पान का हमारे स्वास्थ्य से सीधा संबंध स्थापित करता है और प्राकृतिक चिकित्सा को हमारे जीवन में सारभूत रूप से इस तरह से तारतम्य स्थापित कराता है कि मानों यही हमारी जीवन शैली है,त्रिफला जैसा कि नाम से ही विदित है,तीन फल यह तीन फल इस प्रकार हैं क्रम से हरड़Terminalia chebulia (हरीतिकि) बहेड़ा Terminalis bellirice (विभीतिकी), आंवला Emblica offcinalis (आंवलकी) त्रिफला में यह एक निश्चित अनुपात में लिया जाता है और वह अनुपात है ऊपर के ही क्रम में १:२:३ इस वक्त आंवला ही आंवला है चारों तरफ बस आंवला , हरड़, बहेड़ा लें लीजिए और सुखाकर गुठलियां निकाल कर टुकड़ों में करके कूट पीसकर कपड़छन से चाल कर एक सूखे डिब्बे में बंद कर रख दीजिए और साल भर उपयोग करिए।

उपयोग का तरीका—
1- रात को सोने से पहले दो चम्मच गरम पानी से लेकर सो जायें।
2- कब्ज बहुत हो तो इसबगोल भूसी के साथ दो चम्मच बराबर-बराबर मात्रा में दूध के साथ लें धीरे धीरे फायदा होगा।
3-गोली बना कर पानी से लें सकतें हैं।
4- आंखों में लालिमा है और सफेद पदार्थ निकल रहा है रात को पानी में घोलकर सुबह छानकर उसके छींटे मारें ठंडक मिलेगी और सही हो जाता है आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है।
5-कहीं पर चोट हो तो पानी में घोलकर उससे धोयें फायदा होगा।
6-देशी घी के साथ लें सकतें हैं।


फायदे—
1- शरीर की सूजन दूर करता है।
2- अनावश्यक वसा जमने नहीं देता है।
3-ग्लाइसिमिक इंडेक्स कम होने के कारण मधुमेह रोगियों को भी नुकसान नहीं होता है।
4-रक्त कोशिकाओं को साफ करता है तो रक्तचाप सामान्य रूप से रहता है।
5-दाग मुहांसे दूर करता है और चेहरे पर कांति आती है।
6-लगभग २०तरह के प्रमेह दूर करता है।
7-मोटापा खत्म करता है।
8- बिष ज्वर समाप्त करता है।
9-नियमित सेवन से सांस फूलना, हांफना कम हो जाता है।
आंवला का विटामिन सी कितना भी सुखाइए गर्म करिए मरता नहीं है तो विटामिन सी का अच्छा स्रोत है और विटामिन सी आपके चुस्ती-फुर्ती से सीधे संबंधित है।
त्रिफला चूर्ण को शहद, धृतकुमारी के साथ बराबर मात्रा में प्रयोग करने पर त्रिदोषनाशक होता है, एक आंखें सही हो जाती हैं,शरीर चुस्त दुरुस्त हो जाता है, उम्र जनित समस्या नहीं आती है।
10-त्रिफला चूर्ण लगातार ग्यारह बरस तक प्रयोग करने पर कहते हैं कि वाक्य सिद्धि प्राप्त हो जाती है और प्रत्येक बरस कुछ एक ना एक उपलब्धि हासिल होती है।
तीनों सामग्री आपको दुकानों पर मिल जायेगी आप बनाइए और जहां मुश्किल हो हमसे पूछिए।
11-यूरिक एसिड और घुटनों के दर्द वाले इसे बहुत ही अल्प मात्रा में दिन में चार पांच बार गर्म पानी से लें सकतें हैं, कोई भी चीज अति में नुकसान दायक ही होती है तो यहा भी अति मत करिएगा।

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